मैंने इंसान की जान को कुछ रुपयों में बिकता देखा है मैंने एक हसीन ज़माने को तहस नहस होता देखा है...... मैंने इंसान की जान को कुछ रुपयों में बिकता देखा है मैंने एक हसीन ज़माने को तहस...
जो कभी हमराज़ हुआ करते थे...! जो कभी हमराज़ हुआ करते थे...!
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ ! मैं आधुनिक युग की नारी हूँ !
ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी चीजों में अपने अतीत के... ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी ची...
तेज़ चलती इस दुनिया से मैं हारा पर मोहब्बत से रिश्ता रहेगा हमारा...! तेज़ चलती इस दुनिया से मैं हारा पर मोहब्बत से रिश्ता रहेगा हमारा...!
बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढ़ापे का मज़ा लीजिये। बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढ़ापे का मज़ा लीजिये।